राजस्थान के कोटा (Kota) में बच्चों की मौत का सिलसिला अभी थमा नहीं कि गुजरात के राजकोट (Rajkot) और अहमदाबाद (Ahmedabad) से भी ऐसी ही जानकारी सामने आ रही है। गुजरात के इन दो शहरों में अबतक 196 बच्चों की मौत (death of infants) हो चुकी है। दिसंबर महीने में राजकोट के सिविल अस्पताल में 111 और अहमदाबाद में 85 मासूम दम तोड़ चुके हैं। जिसे लेकर सवाल पूछने पर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने चुप्पी साध ली।
राजकोट के एक सरकारी अस्पताल में पिछले महीने दिसंबर में 111 मासूम जिंदगी की जंग हार गए। यहां बच्चों की मौत की वजह कुपोषण, जन्म से ही बीमार, वक्त से पहले जन्म, मां का खुद कुपोषित होना बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि राजकोट के सिविल अस्पताल (Civil Hospital) में मरने वाले सभी बच्चे नवजात थे।
अस्पताल के NICU में ढाई किलो से कम वजन वाले बच्चों को बचाने की व्यवस्थाएं और क्षमता ही नहीं है। राजकोट सिविल अस्पताल (Rajkot Civil Hospital) के डीन मनीष मेहता ने कहा, राजकोट सिविल अस्पताल में दिसंबर के महीने में 111 बच्चों की मौत हो गई। वहीं मुख्यमंत्री से जब बच्चों की मौत को लेकर सवाल किया गया तो वह बिना जवाब दिए वहां से चले गए।
अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक जीएस राठौड़ ने बच्चों की मौत पर कहा, ‘दिसंबर में 455 नवजात शिशुओं को नवजात गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती कराया गया था। जिनमें से 85 की मृत्यु हो गई।’
राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल (JK Lon Hospital) के साथ जोधपुर और बीकानेर में भी बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। बेहतर इलाज और सुविधाओं के अभाव में जोधपुर के डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में महीनेभर में 102 नवजात समेत 146 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं कोटा में 110, बीकानेर में 162 और बूंदी में 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं। जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है। मेडिकल कॉलेज के अधिकारी इन मौतों को सामान्य बता रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री गहलोत जोधपुर में बच्चों की मौत के सवाल को अनसुना कर गए।