उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने गुरुवार को अयोध्या भूमि विवाद (Ayodhya Land Dispute) पर सुनवाई की तारीख जल्द लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। यह याचिका मामले के एक हिंदू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की ओर से दायर की गई थी। मुख्य न्यायाधीश (CJI Ranjan Gogoi) रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने याचिका पर सुनवाई की।
याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील के पराशरन ने मामले में जल्द सुनवाई के लिए तारीख की मांग करते हुए कहा, ‘चूंकि मध्यस्थता पैनल कोई भी सकारात्मक परिणाम लाने में विफल रहा है इसलिए अदालत को मामले की जल्द सुनवाई के लिए एक तारीख तय करनी चाहिए।’
मुस्लिम पक्षकार की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील डॉ. राजीव धवन ने कहा, ‘यह समय मध्यस्थता पैनल की आलोचना करने का नहीं है।’ अदालत ने कहा, ‘हमने मध्यस्थता पैनल का गठन किया है। हमें उसकी रिपोर्ट का इंतजार करना होगा।पैनक को इस विषय पर अपनी रिपोर्ट जमा करने दीजिए।’ सुनवाई करते हुए न्यायालय ने मध्यस्थता पैनल से 25 जुलाई तक मामले की विस्तृत रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है। यदि मध्यस्थता नही ंहोती है तो अदालत 25 जुलाई से मामले पर सुनवाई करेगा।
मंगलवार को विशारद की ओर से चीफ जस्टिस के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए सुनवाई की तारीख जल्द लगाने की मांग की गई थी। उनका कहना है कि विवाद निपटाने में मध्यस्थता प्रक्रिया से खास प्रगति नहीं है, लिहाजा इसे मेरिट के आधार पर सुना जाए और निपटारे के लिए तारीख लगाई जाए। इस पर चीफ जस्टिस ने उन्हें आवेदन दाखिल करने को कहा था।
बता दें कि अदालत ने इस मामले का आपसी बातचीत से हल निकालने के लिए पूर्व जज एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल का गठन किया था। इस पैनल में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और मद्रास उच्च न्यायलय के वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं। अदालत ने इसी साल 10 मई को मध्यस्थता पैनल को मामले सुलझाने के लिए 15 अगस्त तक का वक्त दिया था।